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९.5 प्रकाशकीय
वि.सं.2072, पालीताणा के ऐतिहासिक श्रमण संमेलन का प्रस्ताव नं 48 प्रायः हरेक संघो में साधारण खातें की स्थिति ऐसी होती है कि, वहाँ खर्च ज्यादा और उसके प्रमाण में आय अल्प हो । उसके द्दढ उचित उपायके रुप यह श्रमण संमेलन, सर्व गुरु भगवंतो एवं समस्त जैन संघोको मार्गदर्शन देता है कि इसी वर्ष के पर्युषणपर्व से ही प्रतिवर्ष (1) पर्युषणा के दिनो में साधारणद्रव्य से बने हुए अष्टमंगल के
अलग-अलग आठ चढ़ावें बुलवाकर सकल श्री संघ के मंगल
निमित्त उसके दर्शन करवाना। (2) श्री कल्पसूत्र जिस राजाके लिये सर्वप्रथमबार जाहिरमें पढ़ा
गया था, वे ध्रुवसेन राजा बनने का चढ़ावा भी बुलवाना और
संघश्रेष्ठि बनने का चढ़ावा भी बुलवाना। (3) संवत्सरी महापर्व के दिन बारसासूत्र पूर्ण होते समय सकल श्री
संघ को सर्वप्रथम जाहिर क्षमापना करनेका चढ़ावा भी बुलवाना। ये तमाम ११ चढ़ावें की रकम संपूर्ण रुप से सर्वसाधारण खाते में लेनी । उपरान्त, बारों मास के मासिक सर्व साधारण चढ़ावें, बारमासी या कायमी सर्वसाधारण फंड जैसे उपाय भी अमली करना।