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e. श्री संघ को कल्पवृक्ष का दर्शन कराने का चढ़ावा। f. शालिभद्र मंजूषा (पेटी) (3, 9, 11...पेटी उतारने का
चढ़ावा)(पेटी लाभार्थी घर ले जाता है)। (B) नये साल कार्तिक सुदि-1 के दिन बोली लगा सके ऐसे चढ़ावें:
1. श्री संघ को सबसे पहले नूतनवर्षाभिनंदन कहने का चढ़ावा। 2. श्री संघ की पीढ़ी सब से पहले खोलने का चढ़ावा। 3. श्री संघ में सब से पहले रसीद कटवाने का चढ़ावा। 4. उपाश्रय को या घर-घर आसोपालव के तोरण बाँधने का
चढ़ावा।
5. सकल श्रीसंघ पर अमीफुहार(अमीछांटणा) करने का चढावा। (C) चातुर्मास में साधारण खाते के चढ़ावें: 1. चातुर्मास प्रवेश के अवसर पर उपाश्रय के द्वार-उद्घाटन का
चढ़ावा। (चारों या बारह मास की आराधना का लाभ मिलेगा)। 2. तप का बियासणां-पारणा-अत्तरवायणा या तपस्वीओं के बहुमान जैसे कि दूध से पग धोना-तिलक-हार-साफा या
चूनरी-शाल-श्रीफल-सन्मानपत्र अर्पण करने का चढ़ावा। 3. तप उजमणा में तपस्वीओं के सामुदायिक वरघोडे में बग्गी
इत्यादि का चढ़ावा। 4. शालिभद्र, पुणिया श्रावक, 16 उद्धारक, कनकश्री इत्यादि
का बहुमान करने का चढ़ावा। 5. चातुर्मास प्रवेश के सामैये (वरघोडे) या तपस्या के वरघोडे में
___ अष्टमंगल लेकर चलनेके 8 चढ़ावें। (D) दीक्षा:
1. दीक्षार्थी का बहुमान जैसे कि दूध से पग धोना-तिलकहार-साफा या चूनरी-शाल-श्रीफल-सन्मानपत्र अर्पण
वघामणा, बिदाई तिलक करने का अलग-अलग चढ़ावा। 2. दीक्षार्थी को दीक्षा की विधि में चरवलो-कटासणुं-मुहपत्ती
अर्पित करने की बोली(क्रिया के बाद बोली लेने वाले को चरवला आदि उपकरण मिलते है)।