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।। ॐ ह्री श्री अर्ह श्री जीराउला-शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः ।। ॥ श्री प्रेम-भुवनभानु-पद्म-जयघोष-हेमचंद्र-जयसुन्दर-कल्याणबोधिसूरिभ्यो नमः ॥
॥ ॐ ही ऐ क्ली श्री पद्मावतीदेव्यै नमः ।।
अष्टमंगल - ऐश्वर्य
: कृपावर्षाः प.पू.सिद्धांतदिवाकर सुविशालगच्छाधिपति आ.भ.श्रीमद्विजय
जयघोषसूरीश्वरजी महाराजा प.पू.वैराग्यदेशनादक्ष प्राचीन श्रुतोद्धारक आ.भ.श्रीमद्विजय
हेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा
मेरे प्रभु के संघ की सर्वतोमुखी उन्नति हो ! मेरे प्रभु के संघ में सर्वत्र सुख और शांति हो ! मेरे प्रभु की भक्ति अर्थे अष्टमंगल वर्णना, मेरे प्रभु ! देना मुझे वरदान एक ही मोक्ष का।
-: प्रकाशक :श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट
श्री शिल्पविधि प्रकाशन