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शिक्षाप्रद कहानियां
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देखते हुए बोले- इसने अपने जीवन में करोड़ों-अरबों से भी अधिक के दान किए हैं। और सुनो वे दान कौन से हैं? इसके पड़ोस में एक गरीब बालक रहता था जो पढ़ाई में कमजोर था। इसने उसे बिना किसी स्वार्थ और लोभ के पढ़ाया। जो आज पढ़-लिखकर एक बहुत बड़ा विद्वान् बन गया और वह भी इसी की तरह निर्धन बालकों को पढ़ाता है। यह इसका विद्यादान है। कहा भी जाता है कि
अन्नदानं महादानं विद्यादानं महत्तमम् । अन्नेन क्षणिका तृप्तिर्यावज्जीवं तु विद्यया ॥
एक बार नगर में सड़क दुर्घटना में एक युवक घायल हो गया। वहाँ पर अनेक लोग मौजूद थे। लेकिन, कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। इसने तुरन्त उसे अपने कंधों पर उठाकर अस्पताल पहुँचाया। चोट लगने के कारण उसका बहुत खून बह गया था जिसके कारण उसमें खून की कमी हो गयी थी। इसने अपना खून देकर उसकी नसों में चढ़वाया और उसकी जान बचायी। यह था इसका रक्तदान |
एक बार एक खरगोश का बच्चा बरसाती नाले में डूब रहा था। इसने उसे डूबने से बचाया, अपने हिस्से का दूध उसे पिलाया और कई दिन तक उसकी सेवा की तथा बाद में उसे सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। यह था इसका प्राणदान। इसने इन सब परोपकारी कार्यों के लिए न तो पैसा चाहा न ही कोई कीर्ति, यश या बड़ाई । बिल्कुल अनासक्त भाव से इसने ये सब काम किए। कहा भी जाता है कि- दान तो ऐसा ही होना चाहिए कि-अगर तुम्हारा दायाँ हाथ दान दे रहा है तो तुम्हारे बाएं हाथ को भी नहीं पता चलना चाहिए कि दान दिया जा रहा है। अतः तुम्हारे करोड़ों रूपये के दान से भी इसका दान श्रेष्ठ है। इसीलिए इसे स्वर्ग मिल रहा है और तुम्हें नरक ।
३८. अमर फल
किसी गाँव में एक परिवार रहता था। एक दिन पिता ने लड़के को पैसे देते हुए कहा कि बाजार जाओ और फल ले आओ। पैसे लेकर