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शिक्षाप्रद कहानियां
२५. जात-पाँत छिपती नहीं
बात उस समय की है, जब हमारे देश में मुगलों का शासन था। एक बार अकबर बादशाह के दरबार में पाँच साधु आए । सेनापति ने उनसे पूछा- आपकी जाति कौन-सी है। इतना सुनते ही उनमें से एक बोला- जाति से क्या लेना-देना ? आप कोई ज्ञान की बात पूछिए - साधु की जाति तो उसका ज्ञान ही होती है। कहा भी जाता है कि
जाति न पूछिए साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ॥
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अन्य चारों ने भी उसके कथन का समर्थन किया, लेकिन यह सब सुनकर बादशाह के मन में साधुओं की जाति जानने की इच्छा और भी ज्यादा प्रबल हो गई। तब उन्होंने बीरबल को एकान्त में बुलाया और कहा कि- आप इन साधुओं की जाति का पता लगाइए।
बीरबल बड़ा ही बुद्धिमान् व्यक्ति था। उसने मन ही मन साधुओं की जाति जानने की योजना तुरन्त तैयार कर ली।
अगले दिन बीरबल ने सभी साधुओं को दरबार में बुलाया और उनसे एक प्रश्न पूछा- 'कि आप सभी भगवान् को मानते हैं?'
इतना सुनते ही साधु बोले- अरे वाह! यह भी कोई पूछने की बात है? हम सब आस्तिक हैं और भगवान् को न केवल मानते हैं, बल्कि तीनों समय उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं।
यह सुनकर बीरबल बोला- 'फिर तो आप भजन भी जानते होंगे। अगर जानते हैं तो आप सभी बारी-बारी से भगवान् का भजन सुनाइए ।
यह सुनते ही वे अविलम्ब शुरू हो गए।
पहला बोला