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________________ 46 शिक्षाप्रद कहानियां में भगवान् का वास होता है और भगवान् हम सबमें विराजमान है। अतः हमें सभी को नमस्कार करना चाहिए। एक दिन गुरु की आज्ञानुसार एक शिष्य यज्ञ के लिए समिधा लेने जंगल में गया। तभी वहाँ पर अचानक बहुत जोर से शोर मचा - यहाँ से भागों, एक हाथी पागल हो गया है। वह लोगों को मार रहा है। यह सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग भाग गए। लेकिन वह शिष्य नहीं भागा। उसे अपने गुरु जी के कथन पर विश्वास था कि हाथी भी भगवान् है, अतः भागने का क्या काम ? वह वहीं खड़ा रहा। और जैसे ही हाथी नजदीक आया उसने उसे प्रणाम किया। यह सब देखकर महावत जोर से चिल्लाया- भागो भागो ! लेकिन, वह टस से मस नहीं हुआ। और जैसे ही हाथी उसके समीप पहुँचा उसने उसे अपनी सूँड में लपेटा और पास की झाड़ी में फेंक दिया। इतना होते ही शिष्य मूर्च्छित होकर गिर गया। जैसे-तैसे गुरु जी के पास यह समाचार पहुँचा । गुरु जी अपने अन्य शिष्यों के साथ घटना स्थल पर पहुँचे और उसे उठाकर अपने आश्रम में ले आए। गुरु जी ने उसका यथासम्भव उपचार किया। कुछ समय पश्चात् ही उसे होश आ गया तो गुरु जी ने उससे पूछा- जब इतना शोर मच रहा था कि पागल हाथी आ रहा है, सब लोग अपनी जान बचाकर भाग रहे थे तो तुम क्यों नहीं भागे ? यह सुनकर शिष्य बोलागुरु जी आपने ही तो कहा था कि सभी जीवों में भगवान् का वास होता है। इसीलिए मैंने सोचा कि हाथी के रूप में भगवान् ही हैं। अत: मैं वहाँ से नहीं भागा ! यह सुनकर गुरु जी बोले- पुत्र ! यह ठीक है कि हाथी रूपी भगवान् आ रहे थे, लेकिन यह भी तो ठीक था कि महावत रूपी भगवान् ने तो तुम्हें वहाँ से भाग जाने को कहा था। जब सभी भगवान् हैं तो महावत की बात पर भी तो विश्वास किया जाना चाहिए था। अगर तुम उसकी बात मान लेते तो आज तुम्हारी यह हालत नहीं होती। इस संसार में जल, वायु, वनस्पति आदि सभी देवता होते हैं, लेकिन सभी की अपने-अपने स्थान पर उपयोगिता होती है। कोई जल देवता पर चढाया
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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