________________
33
शिक्षाप्रद कहानिया अतः दोनों ही नहीं खा पा रहे हैं।
यही स्थिति कमोवेश कहीं न कहीं हम सबकी भी होती है। जो हमारे पास होता है, उसका हमें डर लगा रहता है कि कहीं यह खत्म न हो जाए। और जो हमारे पास नहीं होता है, उसे प्राप्त करने की आशा में हम लगे रहते हैं। अतः जो हमारे पास होता है हम आजीवन उसे भी नहीं भोग पाते।
१८. विचित्र स्वभाव
एक थी चिड़िया और एक थी चूहिया। दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों साथ ही रहतीं, साथ खातीं, साथ खेलतीं और साथ ही घूमने-फिरने जाती। चिड़िया थी सरल स्वभाव की और समझदार भी बहुत थी और वह हमेशा चूहिया का हित चाहती थी। समय-समय पर उसे समझाती भी रहती थी।
लेकिन चूहिया थी बिल्कुल उसके विपरीत स्वभाव की। वह चिड़िया की बात सुन तो लेती, लेकिन न तो वह उसकी बातों को मानती थी। उल्टा उसी को कोई न कोई अतर्कसंगत तर्क (जबाब) दे देती थी।
एक दिन उन दोनों की जंगल में पिकनिक मनाने की योजना बनी। और निकल पडी दोनों पिकनिक के लिए। चिडिया ने बातों ही बातों में उसे इशारे से समझा भी दिया था कि- देख बहन जंगल का मामला है। अतः हम दोनों को बड़ी ही सावधानी से अपनी यात्रा करनी है। चूहिया ने स्वीकृति में अपनी गर्दन भी हिला दी। लेकिन, अभी वे कुछ ही दूर चलीं थीं कि रास्ते में एक झाड़ी थी। चिड़िया ने चूहिया को सचेत करते हुए कहा कि- देख बहन सामने झाड़ी है मैं तो उड़कर पार कर लूँगी, लेकिन तुम्हें बड़ी ही सावधानी से झाड़ी से बचकर निकलना
यह सुनकर चूहिया बोली- हाँ हाँ क्यों नहीं मैं इतनी पागल भी नहीं हूँ। तुम उड़कर झाड़ी पार करो मैं आती हूँ। चिड़िया तो उड़ गई।