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शिक्षाप्रद कहानिया
यह सुनकर बाकी के तीनों भी बोले- मित्र बात तो तुम्हारी सोलह आने सही है, भूख तो हमें भी सता रही है, लेकिन इस निर्जन वन में भोजन आए कहाँ से?
तभी उनमें से एक बोला- मित्रों इस पहाड़ी के दूसरी ओर एक कस्बा (शहर) है और वहाँ पर स्वादिष्ट भोजन की अनेक दुकानें हैं। क्यों न वहाँ से भोजन मँगा लिया जाए। यह सलाह सबको अच्छी लगी। और उन्होंने उसी मित्र को जिसने भोजन की बात शुरू की थी आवश्यक धन देकर भोजन लाने के लिए भेज दिया।
वह डाकू पहाड़ी पार करके बाजार में पहुँच गया। पहले तो उसने भर पेट भोजन किया। इसके बाद उसने उन तीनों के लिए भी भोजन पैक करवा लिया और पैसे देकर जैसे ही चलने लगा उसके मन में विचार आया कि क्यों न इस भोजन में जहर मिला दिया जाए, जिससे वे तीनों मर जाए और सारा धन मुझे मिल जाए। यह सोचकर वह मन ही मन बहुत हर्षित हुआ और मन ही मन यह भी सोचने लगा कि अगर वे सब मुझे खाने को कहेंगे तो मैं यह कह दूँगा कि मेरे से भूख बरदाश नहीं हो रही थी। इसलिए मैं तो वहीं खा आया। और उसने उस खाने में जहर मिला दिया तथा चल दिया गुफा की ओर।
लेकिन नियति कुछ और ही थी जैसा विचार इसके मन में आया था वैसा ही विचार उन तीनों के मन में भी आ गया कि क्यों न इसको मार दिया जाए? जिससे हमारे हिस्सों में कुछ बढ़ोत्तरी हो जाए।
और तीनों ने यह निश्चित कर लिया कि जैसे ही वह भोजन लेकर गुफा में घुसे हम तीनों लाठियों से उस पर प्रहार कर देंगे। और उन्होंने किया भी वैसा ही। जैसे ही तीनों ने एक साथ उस पर प्रहार किया उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
अब इत्मीनान की साँस लेकर बैठे तीनों भोजन करने अभी वे भोजन कर ही रहे थे कि उनके उदरों में उठने लगी पीड़ा। धीरे-धीरे शरीर में जहर की मात्रा बढ़ने लगी। और देखते ही देखते वे तीनों भी वहीं ढेर हो गए।