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शिक्षाप्रद कहानिया में कोई परेशानी न हो, गर्मी के दिनों में पानी की बहुत परेशानी होती है।'
'जिन' बोला- 'जो हुक्म मेरे आका।' और वह कुछ ही मिनटों में वापस आकर बोला- 'हुक्म की तालीम हुई मेरे आका। अगला काम बताओ।'
किसान बोला- 'अच्छा, अब तुम जाओ और सारे खेतों को जोत कर आओ। जिससे उचित समय आने पर बीज बोया जा सके।'
'जिन' बोला- 'जैसी आपकी आज्ञा मेरे आका बस, आप तो गुलाम को काम बताते रहिए।' और वह चला गया। किसान को बड़ा आश्र्चय हो रहा था कि यह इतनी जल्दी इतना अधिक व कठिन काम कैसे कर के आ जाता है। वह सोचने लगा कही ये मुझे उल्लू तो नहीं बना रहा है? अतः जाकर एक बार देखना चाहिए। किसान खेतों की ओर गया तो देखकर स्तब्ध रह गया कि वास्तव में जो-जो काम उसे बताए थे, वे सब काम पूरे हो गए थे। अभी वह यह सब देख ही रहा था कि 'जिन' आकर बोला- 'काम पूरा हुआ मेरे मालिक अगला काम बताइए। वर्ना, मैं आपको ही खा जाऊँगा। यह मैंने पहले ही आपको बता दिया था। अतः विलम्ब न करें।' अब किसान बारी-बारी काम बताता जाता और वह कुछ ही क्षणों में उस काम को करके आ जाता और कहता काम बताओ वरना, तुम्हें खा जाऊँगा। धीरे-धीरे किसान के सब काम समाप्त हो गए, होते भी क्यों नहीं भला, वह ठहरा 'जिन' उसके लिए कोई भी काम कठिन नहीं था। लेकिन, अब किसान देवता मुसीबत में फंस गए कि क्या करे, अगर 'जिन' महाराज को काम नहीं मिला तो वह मुझे ही खा जाएगा। यही सोचकर किसान बेचारा दु:खी हो रहा था कि उसको याद आया कि अब तो भगवान् ही कोई उपाय बता या कर सकते हैं। जिससे मेरा काम भी होता रहे और मैं जीवित भी रह सकूँ। लेकिन, यह क्या वह सोच ही रहा था कि इतने में 'जिन' महाराज बोले'अगला काम बताइए।'
किसान मन ही मन बोला- 'आ जा बेटा! मैं तेरा ही जुगाड़ कर रहा हूँ। मैं ऐसा उपाय सोच रहा हूँ जिससे 'साँप भी मर जाए और लाठी