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शिक्षाप्रद कहानिया चिल्लाने लगा परन्तु उस छोटे से स्टेशन पर कुली कहाँ से आता, क्योंकि वहाँ दिन में एक रेल आती थी और सवारी तो कभी-कभार ही उतरती थी।
बार-बार पुकारने के बाद भी जब कोई नहीं आया तो युवक ने झुझलाते हुए अपना सामान उतार कर प्लेटफार्म पर रख लिया। सामान के नाम पर उसके पास कुछ अधिक नहीं था, एक बैग और एक सूटकेस मात्र था। जिनमें अधिक भार भी नहीं था।
___ संयोगवश उसी समय पता नहीं कहाँ से एक स्वच्छ एवं सादा धोती-कुर्ता पहने अधेड़ आयु का व्यक्ति उस युवक के सामने आ खड़ा हुआ। युवक ने उसे कुली समझकर डाँटना-फटकारना शुरू कर दिया, 'पता नहीं कैसे आदमी हो तुम, कब से साँड की तरह चिल्ला रहा हूँ मैं, कहाँ मर गए थे? अब खड़े-खड़े मेरी शक्ल क्या देख रहे हो आरती उतारोगे क्या मेरी, सामान उठाओ और जल्दी चलो। मुझे पहले ही बहुत देर हो रही है।'
उस अधेड़ व्यक्ति ने बिना कुछ बोले चुपचाप उसका सामान उठा लिया और उस युवक के पीछे-पीछे चलने लगा। घर पहुंचकर युवक बोला- 'वहाँ सामने बने कमरे में रख दो और बताओ कितने पैसे हूँ तुम्हें।' सामान रखते हुए वह अधेड़ व्यक्ति बोला- मुझे कोई पैसा नहीं चाहिए और पीछे हटते हुए बोला- 'आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!'
यह सुनकर युवक आश्चर्यचकित हो गया और मन ही मन सोचने लगा कि यह कैसा कुली है, जो सामान ढोने के पैसे लेने के बजाय धन्यवाद कर रहा है। या तो ये कोई मूर्ख है या पागल है। वरना, आज के जमाने में भला ऐसा आदमी कहीं मिलता है। वह यह सब सोच ही रहा था कि उसी समय युवक का बड़ा भाई घर में से निकला और सामने खड़े अधेड़ व्यक्ति को देखकर तुरन्त उनका चरण स्पर्श किया और उसके मुँह से अनायास ही निकल पड़ा- 'आप यहाँ।'
___ यह देखते ही युवक सकपकाते हुए बोला- भाईसाहब! क्या आप इन्हें जानते हैं? ' अरे! इन्हें कौन नहीं जानता तुम तो यहाँ रहते नहीं हो ना इसलिए तुम क्या जानो? जिन्हें तुमने मामूली-सा कुली समझा है