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शिक्षाप्रद कहानियां
इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता, परन्तु क्या यह भी सच नहीं है कि आज अनेक समस्याओं की गिरफ्त में हम सिर्फ बिजली की ही वजह से आये हैं। यदि बिजली नहीं होती तो इतनी कन्याभ्रूण हत्याएँ हो पाती और लड़का-लड़की का अनुपात बिगड़ने की भयंकर समस्या खड़ी हो पाती। इसी प्रकार यदि बिजली नहीं होती तो वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) का ऐसा संकट देखने को मिलता ?
माना कि इन संकटों के पीछे मानव की दुरुपयोग करने की वृत्ति ही है, पर सबको सुधारना भी तो सम्भव नहीं है। इसीलिए कहते हैं कि
धन्यवाद है उस वैज्ञानिक को जिसने बिजली का आविष्कार किया। परन्तु धिक्कार है हमको जो हमने सदुपयोग करना नहीं सीखा ॥
८२. आकांक्षा और शांति
एक बार एक धर्मोपदेशक किसी गांव से निकले। एक चतुर व्यक्ति ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी। वह उनके पास आकर बोला कि आप इतने वर्षों से जगह-जगह घूमकर लोगों को शांति का उपदेश देते हैं, क्या आप बता सकते हैं कि अब तक कितने लोगों को जीवन में शांति की अनुभूति हुई, कितने लोग हैं जो वास्तव में शांत हो गए हैं?
उस व्यक्ति ने अपने प्रश्न से उस धर्मोपदेशक को परेशानी में डालने की कोशिश की थी। धर्मोपदेशक को भी इस प्रश्न का उत्तर देना आसान नहीं था। वास्तव में उन्होंने कभी इस प्रकार की गणना तो नहीं की थी कि कितने लोग उपदेशों से शांत हो चुके हैं, या हो रहे हैं।
धर्मोपदेशक ने मन ही मन विचार किया तथा उस व्यक्ति को उसी के अन्दाज में उत्तर देने की कोशिश की। उन्होंने कहा- अब तक तो मैंने इस प्रकार की गणना नहीं की है लेकिन सायंकाल तक गणना करने की कोशिश करता हूँ। परन्तु इस बीच तुम्हें एक छोटा-सा काम