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________________ शिक्षाप्रद कहानिया 157 उल्टी-सीधी और गंदी बातें सुनने को मिलती हैं। ऐसे ही कुछ दिन व्यतीत हुए थे कि चोरों को आश्रम की ओर जाना था। उन्हें महात्माजी की बात याद आ गयी और कहने लगे- भाई! तोते हम आश्रम की तरफ जा रहे हैं। अगर तुम महात्मा को कुछ संदेश देना चाहते हो तो बता दो हम कह देंगे। तोता बोला- संदेश तो क्या है पर उनसे एक प्रश्न पूछ कर आना कि मुक्ति का उपाय क्या है? चोरों को आश्रम में आया देखकर महात्माजी ने पूछा- क्यों भाई! मेरा तोता ठीक-ठाक है ना उसका स्वास्थ्य ठीक है ना। अब चोर बोले- महात्माजी यहाँ से जाने के बाद वह बहुत ही उदास रहने लगा है। खाता-पीता भी कम ही है। न जाने किन विचारों में खोया रहता है। लेकिन आपसे एक प्रश्न पूछकर आने को कहा है इस लिए हम आपके पास आए हैं। ___महात्माजी बोले- क्या प्रश्न पूछा है उसने मुझे बताओ मैं उसका उत्तर दूंगा। चोर बोले- उसने पूछा है कि मुक्ति का उपाय क्या है? यह सुनकर महात्माजी ने कुछ सोचा और धड़ाम से नीचे गिर गए। यह सब देखकर चोर एकदम घबरा गए और सोचने लगे अरे! यह महात्मा तो मर गया इसकी मृत्यु के अपराध में पुलिस हमें पकड़ेगी और हमारा तो सारा काम धंधा ही चौपट हो जाएगा क्योंकि हम वैसे ही चोरी का काम करते हैं और वे तुरंत वहाँ से भाग गए। जैसे ही वे अपने अड्डे पर पहुँचे तोते ने तुरन्त पूछा- महात्माजी मिले थे? मेरा प्रश्न पूछा या नहीं? चोर बोले- भाई तोते! महात्माजी तो मिले थे और हमने तुम्हारा प्रश्न भी पूछा था, लेकिन जैसे ही हमने तुम्हारा प्रश्न पूछा- महात्माजी तुरंत मूर्छित होकर नीचे गिर गए और हो न हो हमें तो ऐसा लगा जैसे वे मर गए। यह सुनकर तोते ने कुछ सोचा और वह भी श्वास-क्रिया को रोककर पिंजरे में लुढ़क गया।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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