________________
शिक्षाप्रद कहानिया
149 कोई किसी का नहीं होता मेरे साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं है।
यह सुनकर महात्मा जी सोचने लगे कि इसको समझाना चाहिए क्योंकि, यह वास्तविक स्थिति से अनभिज्ञ है, और वे उससे बोले अगर ऐसी बात है तो क्यों न हम उनके प्रेम की परीक्षा करके देखें? श्रेष्ठी पुत्र इसके लिए तैयार हो गया। महात्माजी ने श्रेष्ठी पुत्र को ऐसी जड़ी-बूटी दी जिसके सेवन से व्यक्ति अपनी श्वास क्रिया को रोक सकता है और देखने वाले समझते हैं कि इसकी तो मृत्यु हो गई है। महात्माजी ने उसे समझाते हुए कहा कि कल सुबह तुम इस जड़ी-बूटी का सेवन कर लेना और जब तक मैं ना आऊँ और तुम्हें उठने के लिए ना कहूँ तब तक उठना मत, चुपचाप सब सुनते रहना।
अगले दिन श्रेष्ठी पुत्र ने वैसा ही किया जैसा महात्माजी ने बतलाया था। आज जब वह उठकर नहीं आया तो घर के सभी लोगों को बड़ी चिन्ता हुई। उन्होंने अन्दर जाकर देखा तो तुरन्त रोने-चिल्लाने लगे। कई डॉक्टरों और वैद्यों को बुलाया गया परन्तु उनके सभी उपाय असफल रहे। सभी सम्बन्धी प्रलाप कर रहे थे। पिता जी कह रहे थेहे भगवान्! इसके स्थान पर आप मुझे उठा लेते, माता जी कह रही थी मुझे उठा लेते, पत्नी कह रही थी मुझ उठा लेते। इस प्रकार वे लोग प्रलाप कर रहे थे।
उसी समय महात्माजी वहाँ आ पहुँचे। सभी ने उनसे पुत्र का इलाज करने की प्रार्थना की। महात्माजी ने इलाज करना स्वीकार कर लिया तथा इलाज करते हुए कहने लगे- शायद किसी ने जादू-टोना कर दिया है, मैं इसका उपाय कर देता हूँ। उन्होंने एक बर्तन में पानी मँगवाया
और उस पुत्र के मस्तक पर घुमाकर कहा, मैंने मंत्रशक्ति से उस जादू-टोने को इस पानी में उतार लिया है। अब यदि आपको इसे बचाना है तो यह पानी आप सब में से किसी एक को पीना होगा।
उन सभी ने एक स्वर में पूछा- लेकिन महात्मा जी यह तो बताइए कि पानी पीने वाले की हालत क्या होगी?