________________
93
शिक्षाप्रद कहानिया लिए भगवान् है। और अगर आपकी भावना ही नहीं है तो चाहे आप चार धाम की यात्रा कर लो। सब व्यर्थ है।
मुगल काल की बात है। बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था। उसी समय वहाँ संगीताचार्य तानसेन पधारे। बादशाह ने उनका यथोचित सम्मान किया और उनसे एक भजन प्रस्तुत करने का आग्रह किया।
संगीताचार्य ने भजन प्रस्तुत कियाजसुदा बार-बार यों भाखै। है कोऊ ब्रज में हितु हमारो, चलत गोपालहिं राखै॥
उक्त पद का अर्थ बादशाह की समझ में नहीं आया। उन्होंने दरबारियों से इसका अर्थ स्पष्ट करने को कहा। तब तानसेन ही बोले'जहाँपनाह' इसका अर्थ है- 'यशोदा बार-बार कहती है, क्या इस ब्रज में हमारा कोई ऐसा हितैषी है, जो गोपाल को मथुरा जाने से रोक सके।
यह सुनकर सर्वप्रथम सभा में उपस्थित अबुल फैजल फैज बोले- 'नहीं, नहीं! शायद आपको इसका अर्थ समझ में नहीं आया। इस पद्य में प्रयुक्त बार-बार का अर्थ 'रोना' है। अर्थात् यशोदा रो-रो कर कहती है।'
बीरबल बोले- 'मेरे विचार से तो बार-बार का अर्थ द्वार-द्वार है। संयोगवश रहीम कवि भी सभा में उपस्थित थे। वे बोले- 'नहीं, नहीं, बार-बार का अर्थ बाल-बाल अर्थात् 'रोम-रोम' है।'
इतने में वहाँ उपस्थित एक ज्योतिषी महाशय उठ खड़े हुए और जोश से भरकर बोले- मेरी दृष्टि से तो इनमें से एक भी अर्थ ठीक नहीं है। वास्तव में 'बार' का अर्थ 'वार' अर्थात् दिन है, यानी यशोदा प्रतिदिन कहती हैं।'
उक्त सभी बातें सुनकर बादशाह बड़े ही आश्चर्यचकित हो गए और सोचने लगे बड़ा ताज्जुब है कि एक ही शब्द के हर कोई