SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जब पार्श्वनाथ १६ वर्ष के हुए तब एक दिन... बेटा मैं कब से स्वप्न रही हूँ कि घर में एक छोटी सी प्यारी सी बहू आयेगी । बेटा अब तुम जवान हो गये हो, अब तो यही उचित है कि तुम विवाह कर लो और गृहस्थी के सुख भोगो । हाथ कंगन को आरसी क्या ? तुम इसमें फाड़ कर देख लो | माताजी, मेरी आयु केवल १०० वर्ष की है । ३० वर्ष की आयु में मुझे घर छोड़ ही देना है । फिर केवल १४ वर्ष के लिये मैं गृहस्थी के जंजाल में क्यों फंसू । मैं तो इस बंधन में बिल्कुल भी बंधना नहीं चाहता। कृपया मुझे क्षमा कीजियेगा । और उधर ..... । कमठ का जीव जिसने शेर की पर्याय में मुनि आनन्द कुमार को अपने पंजों से मार डाला था, मुनि हत्या के पाप से पांचवें नर्क में गया वहांपर १६ सागर की आयु पूरी की। वहां से मर कर ३ सागर तक और और जगह जन्म धारण कर कर के नाना दुःख सहे। फिर किसी पुण्योदय से महीपालपुर में महीपाल राजा हुआ। महीपाल राजा की पुत्री वामादेवी ही भगवान पार्श्व नाथ की माता थी। जब महीपाल राजा की पटरानी का देहान्त हो गया तो वह राजा महीपाल दुखी हो कर तापसी बन गया । और पंचाग्नि तप करने लगा। एक दिन वह पंचाग्नि तप कर रहा था कि राजकुमार उधर से निकलेअरे तुझे बड़ा पता है कि इसमें क्या है ? तू कल का छोकरा क्या तू सर्वज्ञ है ? दूसरे मैं तेरा नाना और तपस्वी! पर तू इतना उदन्ड कि मुझे नमस्कार तक भी नहीं किया ! अरे! यह तुम क्या कर रहे हो ? जिस लक्कड़ को तुम जला रहे हो उसमें तो नाग नागनी का जोड़ा है। 21 अच्छा, इसे अभी फाड़ता हूँ ।
SR No.033238
Book TitleTali Ek Hath Se Bajti Rahi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy