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कुबेर द्वारा वाराणसी नगरी में नित्य ३५ करोड़ रत्नों की वर्षा होती रही। ६ महीने बीतने पर एक दिन रात्रि | के पिछले पहर में राजा अश्वसेन की रानी वामा देवी ने १६ स्वप्न देखे... प्रातः होने पर रानी ने राजा से स्वप्नों की बात बताई और पूछा
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प्राणनाथ! आज मैं बहुत प्रसन्न हूं। मैंने रात्रि में १६ स्वप्न देखे हैं । कृपया बतलाईये इनका क्या फल होगा ?
और उधर स्वर्ग लोक में.
चलें भगवान का गर्भकल्याणक उत्सव बड़े. उत्साह के साथ मनाये ।
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हैं! आज हमारे आसन क्यों डोल रहे हैं। ओ हो !
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प्रिये,
तुम धन्य हो । इन सोलह स्वप्नों का फल यह है कि तुम्हारे. गर्भ में 23 वें तीर्थंकर पधारे हैं ।
आज वाराणसी में रानी वामा देवी के गर्भ में २३ तीर्थकर भगवान
पार्श्वनाथ आये हैं। चलो, सभी वाराणसी को चलें ।