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________________ शरीर पर बेलें बढ़ गई है। सांपों ने पावों के पास बांबियां बना ली है। उनके शरीर पर सांप चढते उतरते देखे जा सकते हैं। उनके दर्शनों का मेला सा लगा रहता है। MUDRASHTAMI www!! ऋषभदेव | मैं जाओ दूत ! तुम्हारी सूचना से सन्तुष्ट हूँ। क्या कारण है बाहुबलि मुनि को पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं हो रहा। इतनी महान साधना के बाद केवलज्ञान प्राप्त न होने का कारण समझ में नहीं आता भगवानमदेव जी से पूछना चाहिए। भाग्यशाली प्राणियों। तुम कर्म भूमि के प्राणी हो। कर्म भूमि में सुखी रहने का एक मात्र साधने है भाईचारा मनुष्य सब समान है छोटा काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता। जंगल भी बहुत उपकारी है। प्राणी मात्र को मारना पाप है। छोटेछोटे प्राणियों का भी महत्व है, ये प्रकृति का सन्तुलन बनाएं रखते हैं। हिंसा से बचो, परोपकार करो, अपनी आत्मा को पहिचानो । 21
SR No.033237
Book TitleRushabhdev
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrilal Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size7 MB
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