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जैन चित्रकथा देवराज इन्द्र तीर्थंकर नेमिनाथ के नरख एवं केश रुपी पवित्र अक्शेष एकत्रित करता है
सभी देवी देवता निर्वाण स्थल को
प्रणाम करते हैं। और अग्नि कुमार देव अग्नि प्रज्जवलित कर अन्तिम संस्कार करते हैं।
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और इस संसार में प्रभु की दिव्य वाणी शेष रह गई जो हरयुग में सत्य और हिंसा का सन्देश देती रहेगी।
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