________________
जैन चित्रकथा
बनाया
है ?
नेमिनाथ भगवान की दिव्यवाणी मुखरित हुई
एक जिज्ञासु श्रोता ने प्रश्न किया
भगवन ।
वत्स !
इस दुनिया को किसने
यह संसार सदैव से है और सदैव रहेगा! वस्तुओं का रूप बनता - बिगड़ता रहता है परन्तु मूल वस्तु सुरक्षित रहती हैं। उसे ध्रुवता कहते हैं।
इस संसार में चेतन और अचेतन पदार्थों के अलावा कुछ नहीं है । सारी श्रष्टि इन्हीं मूल पदार्थों से बनी है। जीव को आत्मा के नाम से पुकारते हैं। अचेतन में धर्म, अधर्म, आकाश और काल सम्मिलित हैं।
एक अन्य श्रोता अपनी शंका समाधान करने के लिये भगवान नेमिनाथ से पूछता है
भगवन !
संसार में मनुष्य | के अलावा मिन्नभिन्न प्रकार के प्राणी पाये जाते हैं इसका क्या कारण है ?
23
वत्स !
सब प्राणी अपने
कर्मों से पंचतत्वों से जुड़े हैं और अपने कर्मों का फल भोग
रहे हैं।