SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्या मैंने जन्मान्तर में | वीरदास ने नाना प्रकार से विलाप किया। उसके नर्मदपुर निवासियों का जब नर्मदा के अपहरण का किसी की बेटी का साथियों ने भी उसे समझाया कि-विलाप करना समाचार मिला तो सभी संताप करने लगे। अपहरण किया था जिसके निरर्थक है। अब तो धैर्य धारण कर इस वियोग नगरवासियों को नर्मदा के रूप.शील और गुणों कारण यह कष्ट मेरे ऊपरजन्य कल को सहना पटेगा। यह सम्भत हो का स्मरण कर आन्तरिक वेदना हो रही थी। वे आया है।हाय में नर्मदा के सकता है कि हम लोग एक बार अपने द्वीप को। इस कल्पना से अत्यधिक दुःखी हो रहे थे किबिना कहीं मुँह दिखाने लौट जाये, पश्चात् यहाँ पुनः आवे और नर्मदा की शीलवती नर्मदा को कोई कष्ट दे रहा होगा, उसे लायक भी नहीं है। तलाश करें। इस समय तो नर्मदा का मिलनी |मारन, ताडन आदि अनेक प्रकार के कष्ट मिल सम्भव नहीं है। रहे होंगे। निराश होकर वीरदास अपने घर चला आया | उसे यह विश्वास था कि सुमेरू पर्वत विचलित हो सकता है, सूर्य पश्चिम दिशा में उदय को प्राप्त कर सकता है, समुद्र में अग्नि उत्पन्न हो सकती है, पर नर्मदा अपने शील को खण्डित नहीं कर सकती। हरिणी की मृत्यु के पश्चात् गणिकाओं के समक्ष यह समस्या उत्पन्न हुई कि अब गणिकाओं की स्वामिनी कौन बने । सभी गणिकाएँ श्रृंगार कर एकत्र होने लगी। आज निर्वाचन का दिन था और यह निर्वाचन कार्य पंचकुल द्वारा सम्पन्न होने को था । पंचकूल ने उन गणिकाओं के रूप. सौन्दर्य और यौवन को देखा सभी एक से एक बढ़ कर थी। इसी समय धूल-धूसरित रूखे बाल वाली, मैले शरीर से युक्त और रतिसम सुन्दरी नर्मदा उन्हें दिखाई पड़ी। वे नर्मदा के इस अपूर्व लावण्य को देखकर आश्चर्य चकित हो गये। वे यह भूल गये कि उन्हें न्यायसंगत निर्णय करने का कार्य मिला है। श्रृंगार की हुई सभी रूप सून्दरियाँ उन्हें फीकी ऊंची। उन्होंने अपना निर्णय सुनात हुए कहा- इस गणिका को स्नान कराकर वस्त्राभूषणों से अलंकृतकरो, गणिका के पद पर अभिषेक होगा। इस जैसा सौन्दर्य लावण्य और तारूण्य कहीं नहीं प्राप्त है। प्रधान गणिका बनने की समस्त योग्यताएं इसके पास है। प्रेय की भभूत
SR No.033234
Book TitlePrey Ki Bhabhut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy