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________________ सम्पादकीय जल में विहार करने वाले प्राणी प्रत्येक हल चल के साथ नये मार्ग की रचना करते हैं। लक्ष्य की ओर बढने वाला साधक संघर्ष को महत्व देता है, जीवन जितना कठोर होता है। व्यक्ति उतना ही ऊंचा उठ जाता है। जो संघर्ष से बचकर पूर्व निर्मित मार्ग पर ही चलने का प्रयास करता है । वह जीवन में कभी भी आगे नही बढ सकता । नदी सरोवर और गढ़ों में पड़ा भूतल का जल संघर्ष करता है, सूर्य किरणों से संतप्त होता है, तो वह रवि रश्मियों के सहारे ऊपर उठ जाता है। सारी गंदगी और मेल नीचे रह जाते हैं। राजा हो या रंक ब्राहम्ण हो या शुद्र विद्वान हो या मूर्ख जो कठोर श्रम करता है, संघर्ष करता है और दुर्गम दुलंघ्य स्थान में भी मार्ग तैयार कर लेता है। वह उन्नति के गिरि शिखर पर चढ जाता है। जैन साहित्य में असंख्य पौराणिक कहानियां भरी पड़ी हैं। जिसमें सम्यग्चरित्र पर आधारित यह पौराणिक कहानी नयी शैली में लिखी गयी है। जन मानस दो प्रकार की विचार धाराओं में विभक्त है, कुछ लोग अध्यात्म और अहिंसा की चर्चा करते हैं। कुछ भौतिकवाद और हिंसा की अहिंसक व्यक्ति का आचरण परम पवित्र होता है। वह अपनी इन्द्रियों का निग्रह करता है। अहिंसा द्वारा संयम का विकास होता है। यह भी एक संयम के विजय की कहानी है। वैभव शाली परिवार में पली, सर्वांग सुन्दरी नर्मदा की शादी भी अत्यन्त सम्पन्न घराने में की गयी, परन्तु भाग्य की विडम्बना वह एकान्त निर्जन वन प्रदेश में छोड़ दी गयी। चरित्र की दृढता से उसे फिर से अपने पीहर के चाचा श्री से मिलना हुआ। फिर दुर्भाग्य से पेशेवर महिलाओं के चंगुल में फंस गयी। किसी भी प्रलोभन में नही आई, अपना विवेक नही खोया। उसे जीवन के कड़वे मीठे सारे अनुभव हो गये। दृढ चरित्र और पुरुषार्थी व्यक्ति की ही अन्त में जीत होती है। जानने के लिए पढ़ें- प्रेय की भभूत | ब्र. धर्मचन्द शास्त्री अष्टापद तीर्थ जैन मंदिर आशीर्वाद प्रकाशक निर्देशक कृति सुनो सुनायें सत्य कथाएँ सम्पादक पुष्पनं. चित्रकार प्राप्ति स्थान - - जैन चित्र कथा - श्री अमित सागर जी महाराज आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला एवं भा. अनेकान्त विद्वत परिषद ब्र. धर्मचंद शास्त्री प्रेय की भभूत ब्रं. रेखा जैन एम. ए. अष्टापद तीर्थ 58 बने सिंह राठौड़ 1. अष्टापद तीर्थ जैन मन्दिर 2. जैन मन्दिर गुलाब वाटिका सर्वाधिकार सुरक्षित अष्टापद तीर्थ जैन मन्दिर विलासपुर चौक, दिल्ली-जयपुर N.H. 8, गुड़गाँव, हरियाणा फोन : 09466776611 09312837240 मूल्य - 25 /- रुपये
SR No.033234
Book TitlePrey Ki Bhabhut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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