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मन्त्री चालाक थे ही, अत: राजा पदम पर अपना विश्वासजमाने सबसे पहले पद्म के प्रबल शत्रु,कुम्भक नगर के नरेश श्री सिंहबल को अपने कल-बल-छल से बन्दी बनाया और हस्तिनापुर ले आये। महाराज पदम सरल स्वभावी थे। उन्होंने शत्रु राजा सिहबल को अपने निकट पाने के बाद भी उसे क्षमा करवात्सल्य भाव से विदा कर दिया.
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और मंत्रियों को इनाम मांगने की घोषणा सुना दी। दूरदर्शी किन्तु दम्भी मन्त्रियों ने इनाम की बात को सहज निरूपित करते हुए कहा कि...
जब कभी अवसर देरखेंगे तब वे अवश्य ही इनाम मागेंगे,आशा है तब नरेश अपना वचन पूर्ण करेंगे।