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अपने देश कोलौट कर पहला काम जो उन दोनों ने किया वह था 'रत्न मां को सौंप दिया
लो मां यह रत्न । हमारी विदेश की कमाई है यह। आप रखें इसे
मेरे
प्यारे बच्चों। में आज कितनी खुश हूं। तुम कितने लायक हो। कितने प्यारे,कितने अच्छे
अब रत्न मा की मुट्ठी मे
और म्या असर हुआ मां पर
कितना सुन्दर है यह रत्न । अहा। अहाहा। आज मैं धन्य हो गई। बडी बन गई अन मैं धनवान हो गई। अबमुझे सब जगह इज्जत मिलेगी, सम्मान मिलेगा। परन्तु हां। मेरे बेटों ने यह मुझे देतो दिया है परन्तु माग भी तो सकते है वापिस ।
परन्तुस्टा यह लौटाने लायक चीज है। है तो नहीं परन्तु मांगने पर देनी लो पडेगी ही। हां, यह झंझट ररलाही क्यों जाये आजही दोनों को निपटा क्यों नवं शाम को ही भोजन में जहर मिला दूगी । बस रास्ता साफ
फिर रत्न मेरा और मेरा ।
भी...
सोचही रहीथी कि कितने प्यारेसे सलोने से बच्चे है मेरे। क्या सामने से आगये दोनों सोच रही थी मै इनके बारे में। इनको मार डालू। बेटे अहिदेव व महिदेत. जिनको अपने पेट से पैदा किया पाला पोसा,खिलाया बस विचारों ने पलटा । पिलाया, खुद गीले में सोई इन्हें सूखेमें सुलाया । रवाया और..... मारटू इन्हें । धिक्कार है मुझे। इनकी हत्या
कर इस पत्थर के लिए।
और मैं. जिसको आज मरे कल दूसरा दिन होना है- जहर देहूँ ।
धिक्कार है मुझे ।
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