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चेलना
युवराज अभय कुमार अपने पिता महाराज बिम्बसार के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते थे।
एक दिन.....
किंतु अभयकुमार चिंता नहीं छोड़ सके. पिताजी! क्या बात है? मैं कुछ दिनों से देख रहा हूँ
पिताजी अवश्य ही gha कि आप कुछ सुस्त और उदास
अपना कष्ट छिपा रहे है.
(क्यों न वैद्यों को बुलाकर रहते हैं? क्या कारण है?
मैं तो
। उनके स्वास्थ्य की बिलकुल ठीक हूँ!
परीक्षा कराई जाए। तुम चिंता न करो
कुमार
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