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जैन चित्रकथा
| मनुष्य इच्छा करे तो क्या नहीं हो सकता P मुझे तो ऐसी विद्याज्ञात है कि मैं आपको तुरंत ही राजगृह नगरलेचल सकताहूँ. आप केवल अपनीसहमति
दीजिए.
क्या इस तरह पिता की बिना आज्ञा के जाना उचित होगा? जब पिता को मालूम होगा तो क्या उत्तर दूंगी? क्यों चेलना?
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नहीं,
| जब हमें ज्ञात है कि पिताजी हमारी इच्छा कभी पूरी नहीं होने देंगे तो फिर उस बारे में सोचना कैसा? यदि हमें अपनी इच्छा पूरी करनी है तो हम वही करें
जो हम चाहते हैं.
यह उचित न होगा. 'पिताजी से पूछना अनिवार्य है. चेलनाजाती है तो जाए। मैं किसी उपाय से यहाँ से
वापस चलती हूँ.
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