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जैन चित्रकथा जबदोनो राजकुमारियाँ प्रार्थना करके चलने लगीं तो उनकी दृष्टि अध्ययन कर रहे अभयकुमार पर पड़ी.
कहिए! आपकी चैत्यालय कैसा लगा?
हाँ! वास्तव में बहुत
भला इतने सुंदर चैत्यालय को देखकर कौन प्रशंसा नहीं
करेगा!
आपने बहुत सुंदर क्या आपको चैत्यालय बनवाया है। सच में यह चैत्यालय)
अच्छा लगा?
इसकी वेदी, मूर्ति आदि सभी चीजें मैं राजगृह से लाया हूँ.
तो क्या आप राजगृह से आएहै?