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________________ सम्पादकीय शीलाधर्म की ध्वजा से चिन्हित, वात्सल्य, श्रद्धा, लज्जा, चिन्ता, अनुराग और त्याग की मूर्ति नारी दूसरों के सुखों के लिए स्वयं दु:ख रुपी हिण्डौलों पर झूलती रहती है। केवल इतना ही नही, अपितु ममतामयी मातृत्व निधि को लुटा-लुटा कर बदले में तिरस्कार एवं अवहेलना प्राप्त करके भी संतुष्ट रहती चित्र कथा सुनो सुनायें सत्य कथाएँ महासती को देखिए उनका जीवन जनक नन्दिनी के जन्म लेते ही भाई भामण्डल का अपहरण हुआ, विवाह के कुछ समय बाद ही पति एवं देवर लक्ष्मण के साथ वन गमन करना पड़ा. उसी अवधी में रावण द्वारा अपहरण, गर्भवती सीता का पति राम द्वारा परित्याग, सेनापति द्वारा एकाकी छोड़े जाने पर सन्तप्त हुई सीता विलाप तो अवश्य करने लगी, परन्तु इस धमानष्ठा न सकट का उस बला म भा अपन विवेक को जागृत रख पति के लिए उद्बोधन देने वाला संदेश भेजा, कि हे प्राणनाथ अपवाद के भय से जैसे मुझे त्याग दिया है वैसे ही कभी धर्म का परित्याग मत कर देना। अपवाद के मानसिक ताप से सन्तप्त सीता का भाई वज्रजंघ के यहाँ निवास, लव-कुश का जन्म, पिता पुत्र का युद्ध पुन: पिता पुत्र का मिलन तथा सीता के व्यक्तिव को कंचन सा निखारने वाला, अग्नि परीक्षा आदि घटनाओं से भरा सारा जीवन तपश्चर्या से युक्त है वह पठनीय, मननीय और अनुकरणीय हैं। जिसका नाम युगों-युगों तक स्मरण किया जावेगा। प्रकाशक - आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला एवं भा. अनेकान्त विद्वत परिषद निर्देशक - ब्रधर्मचंद शास्त्री कृति - जनक नन्दिनी सीता सम्पादक - ब्र रेखा जैन एम. ए. अष्टापद तीर्थ पुष्प नं. - 56 मूल्य - 25/- रुपये चित्रकार - बने सिंह राठौड़ प्राप्ति स्थान - 1. अष्टापद तीर्थ जैन मन्दिर 2. जैन मन्दिर गुलाब वाटिका © सर्वाधिकार सुरक्षित अष्टापद तीर्थ जैन मन्दिर विलासपुर चौक, दिल्ली-जयपुर N.H. 8, गुड़गाँव, हरियाणा फोन : 09466776611 09312837240 ब्रडॉ. रेखा जैन अष्टापद तीर्थ जैन मंदिर
SR No.033226
Book TitleJanak Nandini Sita
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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