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धर्म के लक्षण साथियों बहुत दिन हो गये हमें
चोरी करते मोटा माल हाथ नही उत्तम! आजर्व धर्म
लगा! आज हम चोरी करने के लिये राजमहल में चलेंगे ! महल के अन्दर मैं जाऊगा आप लोग बाहर सावधान रहना !
मृदुमति चोर अपने साथियों के साथ....
राजमहल में...
प्रिये ! आज मैने मुनिराज से धर्मोपदेश सुना, मुझे तो अब संसार, शरीर, भोगों से डर लगने लगा है अब तो मैं निश्चित रूप से मुनि दीक्षा लूंगा ही !
नाथ! मेरा (क्या होगा, कुछ तो सोचो।
!
जैसी आपकी आज्ञा !
हैं। यह राजा तो अपना सब राज-पाट छोड़ कर मुनिव्रत धारण करने का विचार कर रहे है और मैं मैं कितना पापी हूं चोरी करके • पेट पालता हूं, मुझे धिक्कार है! क्यों न मैं इस पाप के धन्धे को छोड़ दूं, आत्मकल्याण को
• मार्ग पकडूं! बस ठीक है, मेरा द्रढ़ निश्चय है, कि कल प्रातः ही मैं मुनि दीक्षा अवश्य ले लूंगा !.