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________________ घास की भंझट तो मिट गई परन्तु एक परेशानी और आ खडी हुई। इसके साथ अनाज भी बहुत पैदा होता है। उसे कहां रखूं ! उसका क्या करूं? तुम्हारे कारण मुझे सभी सुरव मिल गये परन्तु यह देखो आज राजदरबार से नोटिस आया है। 10 दिन पहले मेरी गाय पड़ोसी के श्वेत में घुस कर उसके खेती चर गई थी। उसने मेरे ऊपर मुकदमा कर दिया है। कल मुकदमे की तारीख है! 00 ale जैन चित्रकथा आप बेफिक्र रहिये! आपके लिये एक सुन्दर सा बड़ा सा मकान बनवाये देता हूं। ठाठ से रहिये जो अनाज है वह बाजार में बेचिये। आपके पास धन भी हो जायेगा और सब • सुख सुविधाएं भी ! ! 26 अब तो पूरी मौज है भैया! परन्तु यह इतना बड़ा मकान और रहने वाला मैं अकेला खाने को दौड़ता है यह मकान ! इसके लिये एक उपाय ऊंचा है। आपकी शादी एक सुन्दर सी लड़की से कराये देते है। फिर आपको सुख ही सुख न कोई झगड़ा न टंटा चिन्ता काहे को करते हो महाराज! एक अच्छा सा वकील किये लेते है । घबराइये नहीं मैं भी आपके साथ चलूंगा।
SR No.033223
Book TitleDharm Ke Dash Lakshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMoolchand Jain
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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