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धर्म के लक्षण बस तनिक सी मायाचारी आ गई मन में और चुप रह गये मुनिराज ! न गुरु जी से प्रायश्चित लिया - मायाचारी का परिणाम रंग लाये बिना नहीं रहा । तपस्या बहुत की थी। इसलिये मरण करके पहुंचे छठे स्वर्ग में -
परन्तु देवपर्याय पूरी करके जाना पड़ा तिर्यभ्व पयार्य में....
Mon
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alla
तभी तो कहा है
" रचक दगा बहुत दुखदानी'