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________________ इस भव से तीन भव पूर्व आप सुगन्धि नामक देश के राजा थे। आपकी राजधानी श्रीपुर थी। वहां से कुमार थोड़ा चला वह विशाल अटवी समाप्त हो गई। वह पास के किसी देश वहां आप श्रीवर्मा नाम से प्रसिद्ध थे। उसी नगर में राशि एवं सूर्य नाम के दो किसान रहते |में जा पहुंचा। वहां उसने देखा- नगर के लोग घबराये से भागे जा रहे हैं। कारण जानने थे। एक दिन राशि ने सूर्य के मकान में प्रवेश कर उसके धन का हरण कर लिया। जब सूर्य | के लिए उसने पूछा, उत्तर मिला- भाई मैं परदेशी हूँ। मुझे यहां का कुछ ने आपसे निवेदन किया तब आपने पता लगा कर राशि को खूब पिटवाया एवं सूर्य का धन क्या आकाश से टपके हो जो भी हाल ज्ञात नही है। आपत्ति न हो तो वापस दिलवादिया। पिटते-पिटते राशि मर गया। जिससे वह चन्द्र रूचि नामक असुर अनजान से बनकर पूछ रहे हो। बताने का कष्ट कीजिए। हुआ। पूर्वभव के बैर से ही उसने आपका हरण किया और कष्ट दिया और उपकार से कृतज्ञ होकर मैं आपका मित्र हुआ। इतना कह कर देव अन्तर्ध्यान हो गया। तब उस मनुष्य ने हड़बड़ाहट में कहा- यह अरिंजय नाम का देश है। सामने शत्रु की मृत्यु सुनकर महाराज जयवर्मा बहुत प्रसन्न हुए। वे कुमार को बड़े आदर सत्कार का नगर इसकी राजधानी है। इसका नाम विपुलपुर है। यहां के राजा जय वर्मा व से अपने महल ले गये। वहां शशिप्रभा व युवराज का विवाह करना स्वीकार हो गया। | रानी जयश्री हैं। शशिप्रभा इनकी कन्या अपूर्व सुन्दरी है। किसी देश के महेन्द्र नाम | विजया गिरि के दक्षिणश्रेणी में आदित्य नाम का नगर है। उसमें धरणीध्वज नाम का के राजा ने जय वर्मा से शशिप्रभा की याचना की। महाराज तैयार हो गये पर किसी | विद्याधर राजा था। उसको किसी क्षुल्लक जी ने बताया विपुलपुर की राजकुमारी |निमित्त ज्ञानी ने 'महेन्द्र अल्पायु है' कहकर वैसा करनेसे रूकवा दिया। राजा शशिप्रभा का जिसके साथ विवाह होगा । वह तुम्हें मारकर भरत क्षेत्र का राजा बनेगा। उसने विद्याधरों की सेना लेकर विपुलपुर को घेर लिया और संदेश भेजामहेन्द्र को सहन नहीं हुआ। लड़कर जबरदस्ती राजकुमारी का हरण करने के लिए आया हुआ है। राजा जयवर्मा की उसका सामना करने की क्षमता नही है। उसके जो अज्ञात व्यक्ति के साथ शशिप्रभा का विवाह स्वीकार कर लिया है। वह सैनिक नगर में उधम मचा रहे हैं, इसलिए पुरवासी डरकर अन्यत्र भाग रहे हैं। उचित नहीं है। क्योंकि जिसके कुल, बल, पौरूष का पता नहीं हो उसके साथ कन्या का विवाह करने से अपयश ही होगा, इसलिए शशिप्रभा का विवाह तुरन्त चाहे कुलीन हो या अकुलीन एक बार दी हुई कन्या फिर किसी दूसरे को नहीं दी जा सकती। VA hun LADKDLA व इतना कहकर वह मनुष्य भाग गया। जब कोतुहल पूर्वक विपुलपुर की सीमा में जा पहुंचे नगर के भीतर जाने लगे, राजा महेन्द्र के सैनिकों ने रोक दिया, जिससे उन्हें क्रोध आ गया। युवराज ने वहीं पर किसी एक के हाथ से धनुषबाण छीनकर राजा महेन्द्र से युद्ध करना आरंभ कर दिया एवं थोड़ी देर में उसे धराशाही कर दिया। अन्य सैनिक भाग गये। जैन चित्रकथा कहकर दूत को वापस कर दिया एवं लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी। 25
SR No.033222
Book TitleChoubis Tirthankar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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