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________________ मदोन्मत हाथी की पीठ पर बैठा | कौओं के द्वारा उल्लुओं का मारा नृत्य करते भूतों को देखने से प्रतीत जिसका मध्य भाग सखा व आसपास हुआ बंदर इस बात का प्रतीक है|| जाना बताता है कि मनुष्य कालान्तर होता है कि आगे चलकर प्रजा के जा के जल भरा दशा है ऐसे तालाब प्राण कि दुःषमाकाल में अकुलिन मनुष्य | | में सुख प्रदायक जैन-धर्म को छोड़ लोग व्यन्तरों को ही देव समझ कर का फल कालान्तर में मध्य खण्ड में| शासन करेंगे। कर दूसरे मतों का अवलम्बन पूजा करेंगे। संद्धर्म का अभाव हो जायेगा एवं करने लगेगें। आसपास स्थिर रहेगा। धूलि धूमारत्नों को देखने से ज्ञात होता है दु:षसा काल में मूर्तियों के ऋदियां उत्पन्न नहीं होगी। ADML कुत्ते का सत्कार देखना यह घूमते हए जवान बैल को चन्द्रमा के घेरा देखने से परस्पर मिल कर जाते बैलों। सूर्य का मेघों में छिप जाना बताता है कि आगे चल कर देखने का फल है कि मनुष्य | लगता है कि कलिकाल में को देखने से लगता है कि बतलाता है कि पंचम काल व्रत रहित ब्राह्मण पूजे युवावस्था में ही मुनिव्रत मुनियों को अवधिज्ञान प्राप्त साधु एकांकी विहार नही । में प्राय: केवल ज्ञान उत्पन्न जायेंगे। धारण करेंगे। नहीं होगा। कर सकेंगे। नही होगा। सूखा वृक्ष देखने से प्रकट होता है कि पुरूष एवं स्त्रियां चरित्र से च्युत केवल ज्ञान से शोभायमान वृषभदेव पोष मास की पूर्णिमा के दिन कैलाश पर्वत हो जावेंगे। वृक्षों के जीर्ण पत्तों को देखने से लगता है पंचम काल में पर जा पहुंचे- अचल हो कर आत्म ध्यान में लीन हो गये। सम्राट भरत उसी महौषधियां तथा रस आदि नष्ट हो जायेंगे। इस प्रकार स्वप्नों का फल समय सपरिवार कैलाश गिरि पहुंचे एवं चौदह दिन तक पूजा करते रहे। माघ कृष्ण बतलाकर चक्रवर्ती भरत आदि समस्त श्रोताओं को विघ्न शान्ति के लिए चतुर्दशी प्रात: उनकी आत्मा तत्क्षण लोक शिखर पर पहुंच गई शरीर देखते धर्म में दृढ रहने का उपदेश दिया- महाराज भरते अयोध्या लौट गये। -देखते विलीन हो गया। केवल नख तथा केश बचे थे। सब देवों ने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया। भगवान वृषभदेव का निर्वाण महोत्सव मनाया। चौबीस तीर्थकर भाग-2
SR No.033222
Book TitleChoubis Tirthankar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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