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और उधर-सेठानी यशोभद्रा पुत्र जन्मोत्सव मना रही है।
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बालक का नाम रखा गया सकमाल बाल क्रीड़ा देखदेख माता यशोभद्रा फूली नहीं समा रहीहै।
कितनी भाग्यशाली हूँ मैं । परन्छ- मुझे ऐसा प्रबन्ध अवश्य करना चाहिए कि मेरा
सुकुआल किसी मुनिराज के दर्शन
न कर सके।
पार
सेठानी ने एक बहुत सुन्दर 'सर्वतोभद्र' महल तैयार कराया उसके चारों ओर ३२ और महल बनवाये । और इन महलों के चारों ओर द्वारपाल नियुक्त कर दिये।
इन महलों में कोई मुनि न आने पाये
जो
आज्ञा।
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