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पालेज में रहते हुए कहान कुमार कभी कभी नाटक देखने जाते थे,
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यहीं रोक दो तांगे वाले.
"आज हम आपको : रामलीला नाटक दिखा रहे हैं.
कभी कभी सारी रात उनपर वैराग्य की धुन सवार रहती,
नाटक भी कई तरह के खेले जाते थे,
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गुजराती नाटब
नाटक शुरू हो रहा है।
नाटक के वैराग्य प्रेरक दृश्यों का प्रभाव कहान | जी पर विशेष पड़ता था,
एक बार नाटक देखने के पश्चात शिव रमणी रमनार तूं, तूं ही देवनो देव' से प्रारंभ होने वाली, बीस पंक्तियां अपनी नोट बुक में लिख डाली.
मुझे जगत के सब प्रपंचों से
'दूर रह कर आत्मा - 'नुभव प्राप्त करने का प्रयत्न करना
चाहिये,
सांसारिक रस के प्रबल निमित्तों को भी महान आत्मायें वैराग्य का निमित्त बना लेती है :