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स्व० पूज्य गुरुदेवश्री कानजी स्वामी के प्रति समयसार द्रव्यानुयोग में रमते-रमतेआप स्वयं प्रथमानुयोग बने गए हमारे । नयचक्रों के सिद्धान्तों में जमते-जमतेआप स्वयं दृष्टान्तों में छन गए हमारे ।।
आप सरल थे. सनय सार तो बहुत कठिन है। उसको पढ़ने के पहले तो हमें आपको पढ़ना होगा ॥ जीवन का इतिहास आपको चूकि पुराणों से मिलता हैइसीलिए तो हमें सरल से, कावन धीर अब बढ़ना होगा ॥ आप स्वयं चरेषणानुयोग के युगनायक थे। निग्रंथों के, सद्ग्रंथों कै, गपाधर से गायक थे। रवरी कसौटी होती है करणानुयोग की। उसने सिद्ध किया लघुनन्दन, चौथे के लायक थे ॥ Vikrant Patni
- फूलचन्द 'पुष्पेन्दु', खुरई JHALRAPATAN