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________________ ज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामी आपका वीतरागनग्न दिगम्बर जिनमुद्रा कसदपदेशों से अपूर्व धर्म प्रभावना के प्रति अतिशय बहमान देखकर हम' होने लगी। बड़ी संख्या में लोग भी दिगम्बर जिन मन्दिर का निर्माण सोनगढ़ आते और उनके आध्यात्म कार्य प्रारंभ कर रहे है, रससे ओतप्रोत प्रवचन सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते।गुजरात प्रान्त में जहां दिगम्बर जैनों का अभाव ... सा था,वहां भी दिगम्बर जैन मंदिरों miltamivara N/Ayou aurya-TRA के निर्माण एवं पञ्चकल्याणकों का तांता लग गया। HINDI । हमारे यहाँ मान्दिर का निर्माण कार्य ता समाप्त भी होचुका है. अब । हम दिगम्बर जैन पनकल्याणक महोत्सव करना चाहते हैं. हमारी सम्पूर्ण समाज की ओर से पूज्य गुरुदेव श्री से हमारे यहाँ पधारने का अनुरोध करना है.. शनै: शनै: संवत् 2005 में वीहिया हमारे वलाठी में, 2006 में राजकोट में, 2009 यहां भी./ में सोनगढ़ में, संवत् 2010 में बांकानेर, मोरवी और पोरबन्दर में जिन बिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव के आयोजन हमारे किये गये। यहांभी. UM. (अरे यहां यह भीड़ कैसी?तम्हे पता नहीं, पूज्य कानजी (एकहमें भी देना. स्वामी के आध्यात्मिक प्रवचनों का गुजराती भाषा में दैनिक पत्र श्री अमृत आईकेसंपादकत्व में EAसदगुरु प्रवचन प्रसाद 'केनामसेस्क हमें भीदो, भादों सुदी 5 से निकलने लगाहै. LALLAININDIAOMMITTHITLAMOUChtaminh
SR No.033208
Book TitleKahan Katha Mahan Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bansal
PublisherBahubali Prakashan
Publication Year2000
Total Pages40
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size32 MB
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