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जिस महापुरुष के आने पर इस जिनालय के कपाट खुलें, उसे देखने के लिए सुभद्र नामक सेठ ने गुणभद्र नामक नौकर वहां नियुक्त किया था ।
हे स्वामी! मैं सेठ सुभद्र का नौकर हूं। किसी निमित्त ज्ञानी ने कहा था कि सेठ-पुत्री क्षेमश्री का विवाह उस महापुरुष से होगा जिसके आने से जिनालय के कपाट खुलेंगे। इसलिए मेरी प्रार्थना है कि आप सेठ सुभद्र के घर चलने के लिए तैयार रहें। मैं उन्हें लेकर अभी आता हूं ।
'कहां चले गए मेरे स्वामी पिताजी उन्हें
बेटी। मैंने चारों दिशाओं में खोज की है। किन्तु उनका कहीं पता नहीं मिला ।
श्री जीवंधर स्वामी
सेठ सुभद्र तुरंत आया और आदर सहित जीवधर को अपने घर ले गया। फिर जीवंधर की स्वीकृति लेकर क्षेमश्री का विवाह' उनके साथ कर दिया।
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बहुत दिनों तक क्षेम श्री के साथ सुख भोगकर जीवंधर कुमार क्षेमपुरी नगरी से, किसी को सूचना दिए बिना ही चल दिए ।
मुझसे कहकर तो जाते। खोजिए ।
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जीवंधर कुमार जिन आभूषणों को पहन कर आए थे, उन्हें त्यागने का विचार उन्होने किया। उसी समय एक किसान उनके पास आया।
हे किसान तुम कहां से आए हो, कहाँ जा रहे हो और तुम्हें किसी बात का दुख तो नहीं है?
हे पूज्य !
आप महान
हैं। क्योंकि
आपने मेरे विषय में जिज्ञासा की है?
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