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अकाल की रेखाएँ / 2
एक दिन उस राजपुरोहित की रूपवती पत्नी सोमश्री ने सुन्दर पुत्ररत्न को जन्म दिया।
बधाई ! पण्डितजी !!
पुत्ररत्न की प्रसन्नता में सोमशर्मा ने निर्धनों को भरपूर दान किया और खुशियाँ | मनायी गयीं ।
एक ज्योतिषी ने आकर..... वाह ! आज बहुत शुभ नक्षत्र है।
हाँ! पण्डितजी !! आपके यहाँ पधारे नये मेहमान को आशीर्वाद है।
MAAD
सभी जगह आनन्द ही आनन्द है ।
तब
तो पुत्र का नाम भद्रबाहु ही रखो ।