________________ सिरिसिरिवालकहाए सुभासियषषणाई ( Gaeod Sayinge in Sirisirivalakaha ) ( From the portion prescribed ) जारिसओ होइ गुरू तारिसओ होइ सीसगुणजोगो // विणयविवेयपसण्णमणु सीलमुनिम्मलदेह / परमप्पहमेलाषडउ पुण्णेहि लभइ एहू // पाय पुवमिबद्धो संबंधी होइ जीवाणं // जंजेण जया जारिसमुवज्जियं होइ कम्म मुहममुहं / तं तारिसं तया से संपज्जइ दोरियनिबद्धं // भवियव्वया सहावो दबाइया सहाइणो वावि / पायं पुन्बोवज्जियकम्माणुगया फलं दिति / पुवकयं सुकयं चिअ जीवाणं सुक्खकारणं होइ। दुकयं च कयं दुक्खाण कारण होइ निभंतं // न सुरासुरेहि नो नरवरेहि नो बुद्धिसमिध्धेहिं / कहवि खलिजहि इंतो मुहासुहो कम्मपरिणामो॥ को कणयरयणमालं बंधइ कागस्स कंठमि // पढमं महिलाजम्मं केरिसयं तंपि होइ जइ लोए। सीलविहुणं नूणं ता जाणह कंजिअं कुहिरं।