________________ 80 Siri Strivalakaba पुरिसिरिल दुमय पर, अहिलामो जव्वला हवा तो उ। * थीनरनपुवेउदो, कुंकुमतणनगरदाहसमो॥" .. - The आयुकर्म has got 4 Prakritis viz. (1) देवायु (2) मनुष्यायुः (3) तिर्यंचायु (4) नरकायु. The नामकर्म has got 103 Prakritis, this being the maximum number. Sometimes, it is said to have 42, 93, or 67 Prakritis also, which are got by dropping certain sub-divisions from the maximum number of 103 Prakritis which are as follows : ___4 गतिs. viz. (1) नरक, (2) तिर्यग्, (3) मनुष्य, (4) देव. 5 जातिs viz. (1) एकेन्द्रिय, (2) बेइंद्रिय, (3) तेइंद्रिय, (4) चरिंद्रिय, (5) पंचेंद्रिय. 5 शरीरs. viz. (1) औदारिक, (2) वैक्रिय, (3) आहारक, (4) तेजस्, (5) कार्मण. 3 शरीरोपांगs. viz. (1) औदारिकोपांग, (2) वैक्रियोपांग, (3) आहारकोपांग. ___ 15 शरीरबन्धनs. viz. (1) औदारिकऔदारिक, (2) औदारिकतेजस्, (3) औदारिककार्मण, ( 4 ) औदारिकतेजस्कार्मण, ( 5 ) वैक्रियवैक्रिय, (6) वैक्रियतेजस् , (7) वैक्रियकार्मण, ( 8 ) वैक्रियतेजस्कार्मण, ( 9 ) आहारकभाहारक, (10 ) आहारकतेजस्, (11) आहारककार्मण, (12) आहारकतेजस्कार्मण, ( 13 ) तेजस्तेजस्, (14) तेजस्कार्मण, (15) कार्मणकार्मणः