________________ जैन परम्परा में योग 5 तत्त्वार्थभाष्य, 6.1-2 / सूयगडो, 1.827 7 वही, 1.4.16 8 उत्तराध्ययन, 8.14 9 दसवेप्रालिय, 8.61 10 वही, 8.42 11 उत्तराध्ययन, 11:14 12 वही, 34.27 13 वही, 34.26 14 वही, 1963 15 वही, 26:55 16 वही, 26.53 17 प्रावश्यक सूत्र, 15,35 18 समवाय, 32 19 गाथा, 1288-1262 भट्टारक ज्ञानसागर विरचित अवणि योगा मनोवाक्कायव्यापारास्ते चाशुभप्रतिक्रमणाधिकारात्प्रशस्ता एव गृह्यन्ते / 20 उत्तराध्ययन, 26.1-2 21 उत्तराध्ययन, पृ० 416, पादटिप्पण 5 (ख) 22 विसुद्धिमग्ग, प्रथम भाग, पृ० 116, 116 23 वही, द्वितीय भाग, पृ० 1147-8 24 वही, प्रथम भाग, पृ० 286-60 25 अकोभा, 2.1, दु:खोपनिषज्छद्धा 26 तत्त्वार्थभाष्य, 6.16 (6) 27 तत्त्वार्थभाष्यटीका, 6.16 (पृ० 242) 28 प्रवचनसार 3.8-6 29 नियमसार, 136 30 प्रवचनसार, 2.104 31 समाधितंत्र, 17-18 32 इष्टोपदेश, 47 33 बृहत्स्वयंभूस्तोत्र, 83 34 योगबिन्दु, गा० 31 35 वही, गा० 32 36 वहीं, गा० 178, 252; 352 37 बही, गा०७२ 38 वही, गा० 263-4 89 वही, गा० 265,280-1 40 वही, गा० 420 41 वही, गा० 465 42 वही, गाथा 419421422; देखो, योगदर्शन, 1.17; 1.184.26 43 वही, गा० 270 "बही, गा 101-4 45 योगदृष्टिसमुच्चय, गा० 31 46 वही, गा० 38 47 वही, गा० 36; 10; 182 48 वही, गा० 10 द्वितीय अपूर्वकरण में श्रेणियों का सिद्धान्त अन्तर्गभित है। 49 वही, पृ० 27 50 अभिधर्मकोशभाष्य, 1.41 51 योगशतक, पृ०६ (गा०६) 52 वही, पृ० 40 (श्लोक 4-5) 53 योगविंशिका, गा० 3 54 वही, गा० 20 55 ब्रह्मसिद्धान्तसमुच्चय, श्लोक 37,38,54 56 वही, श्लोक 58 57 मध्यान्तविभागशास्त्र, पु. 75 58 ब्रह्मसिद्धान्तसमुच्चय, श्लोक 21,66,185 59 3.10 60 पृ० 108 (गा० 412) 61 श्लोक, 62 62 व्यासभाष्य, 1.48 63 महापुराण, 21:12 64 वही, 21.60 आदि 65 वही, 21:231-4 66 ज्ञानार्णव, प्रकरण 34-7 67 वही, 26:54 68 योगदर्शन, 2.52 69 ज्ञानार्णव, 27.6 70 वही, 27.4-5 71 वही, 28.5 72 वही, 25.18 73 वही, 25.8-10 74 योगशास्त्र, 1.15 75 वही, 4.2 76 वही, 4.112 77 वही, 4.113 78 वही, प्रकाश 7-10 79 वही, 12.1-2 80 वही, 12.6-8 81 वही, 12,22 82 वही, 12.25 83 वही, 12.27 84 दर्शन और चिन्तन (पं० सुखलालजी के हिन्दी लेखों का संग्रह). खण्ड-१, पृ०२४८