________________ नित्य नियम पूजा [ 97. करि दीपकजोतं, तमछयहोतं, ज्योति, उदोतं, तुमही चढे / तुमहो परकाशक भरमविनाशक. हमघट मासक, ज्ञानबढे ती ॐ ह्रीं श्रोजिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै दीपं निर्व० स्वाहा। शुभगंध दशोकर, पावको धर धूप मनोहर खेवत हैं। सब पाप जलावै, पुण्य कमावै, दास कहानै सेवत हैं / ती ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोड सरस्वतीदेव्यौ धूपं निर्व० स्वाहा / बादाम छुहारी लोंग सुपारी, श्रीफल भारी, ल्यावत हैं / मनवांछित दाता, मेट असाता, तुम गुन माता, ध्यावत है ती ॐ ह्रीं श्रीजिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै कलं निर्व० स्वाहा / नयनन सुखकारी, मृदुगुनधारी उज्ज्वल भारी, मोल धरै। शुभगंधसम्हारा, वसन निहारा तुमतन धारा ज्ञान कर ती० ॐ ह्रीं श्रोजिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै वस्त्रं निर्मः स्वाहा / जल चंदन अच्छत, फूल चरु चत दीप, धूप अति फल लावै / पूजा को ठानत, जो तुम जानत, सो नर 'द्यानत' सुखपावै ती. ॐ ह्रीं श्री जिन मुखोद्भबसरस्वतीदेव्यै अर्घ्य निर्व० स्वाहा / जयमाला सोरठा-ओंकार धुनिसार, द्वादशांग वाणी विमल / नमों भक्ति उरधार, ज्ञान करै जडता हरै // पहलो आचारांग बखानो, पद अष्टादस सहस प्रमानो। दूजो सूत्रकृतं अभिलाषं पद छत्तीस सहस गुरुभाष / 1 // तीजो ठाना अङ्ग सुजानं, सहस बियालीस पद सरधानं / चौथो समवायांग निहारं, चौसठ सहस लाख इकधारं / 27