________________ 30 ज्ञानानन्द श्रावकाचार कुशील का त्याग (7) ब्रह्मचर्य (8) आरंभ त्याग (9) परिग्रह त्याग (10) अनुमति त्याग (11) उद्दिष्ट त्याग - इन ग्यारह भेदों में (आगे आगे) असंयम का हीनपना जानना / इसलिये इनका दूसरा नाम घटमान है / तीसरे अर्थात साधक (श्रावक) का दूसरा नाम निपुण है / भावार्थ :- पाक्षिक (श्रावक) तो संयम में (के लिये) उद्यमी हुआ है, करने नहीं लगा है तथा साधक (श्रावक) सम्पूर्ण कर चुका है, ऐसा प्रयोजन जानना। ग्यारह प्रतिमाओं का वर्णन अब पाक्षिक और साधक को छोडकर नैष्ठिक (श्रावक) का सामान्य रूप से वर्णन करते हैं - (1) दर्शन प्रतिमा का धारक सात व्यसनों को तो अतिचार सहित छोडता है तथा आठ मूल गुणों को अतिचार रहित ग्रहण करता है / (2) वृत प्रतिमा का धारक पांच अणुव्रत, तीन गुणव्रत तथा चार शिक्षाव्रत, इसप्रकार बारह व्रतों को ग्रहण करता है। (3) सामायिक व्रत (प्रतिमा) धारक सुबह, मध्यान्ह, संध्या काल में सामायिक करता है। (4) प्रोषध व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) अष्टमी और चतुर्दशी पर्वो (पर्व के दिनों) में आरंभ छोडकर धर्म स्थान में वास करता है।' (5) सचित्त त्याग व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) सचित्त (वस्तुओं के उपयोग) का त्याग करता है / (6) रात्रि भुक्ति प्रतिमा व्रत का धारक (श्रावक) रात्रि में भोजन करने को तथा दिन में कुशील सेवन को छोडता है / / (7) ब्रह्मचर्य व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) रात्रि तथा दिन (दोनों) में मैथुन का त्याग करता है / (8) आरम्भ त्याग व्रत प्रतिमा का धारक (श्रावक) आरंभ का त्याग करता है।