________________ 56 ] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ផលនៅសេសសលផលនទេ ___ अथ जयमाला-दोहा छन्द मेरु सुदर्शनकी कही पश्चिम दिश उर आन। तहां षोडश बैताड पर, जिनवर भवन सु जान // 27 // तिनकी यह जयमाल है, बनी सु परम विशाल। जै जै जै जिनदेव तुम लाल नवावत भाल // 28 // पद्धडी छन्द जै मेरु सुदर्शनके सु जान, पश्चिम दिश क्षेत्र विदेह ठान। तहां षोडश देश विदेह मान, षोडश रूपा गिर हैं सु थान॥ तिनपर षोड़श जिनभवन सार,बन रहें सु अद्भुत हिये धार। जै रतनमई रचना उद्योत, जै जगमग जगमग जोति होत॥ जै तीन पीठ शोभे रिसाल, तिनपर सिंहासन है विशाल। जै कमल बनो तापर अनूप, जिनबिंब बिराजैं जिनस्वरूप॥ जै तीन छत्रकर शोभमान, त्रिभुवनके पति यातें प्रमान। जै सुरनर पूजत हर्ष धार, जिनराज सु छबि नैनन निहार॥ जै ढोरत चमर सु इन्द्र आय, इन्द्रानी नृत्य करें बनाय। जहां बाजत सब बाजे विशाल, गंधर्वदेव तहां देत ताल॥ जै झुकझुक निरखत जिनस्वरूप,जै जगजयवंती छवि अनूप। जै जिनवर गुण गावै विशाल,जै नयर नय नावत सु भाल॥ जै दुन्दुभि बाजनकी जु शोर,सुन श्रवन न. भविजीव मोर। तहां श्रीमुनिराज बिराजमान, जै अनुभवरस पीजै सुजान // जै श्रावक श्रावकनी सु आय, मुनिराज चरण से बनाय। धर्मोपदेश मुनि दे सार, भवि जीवन पर करुणा सुधार॥