________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [41 Sarareranaamanarararareersararararary मुक्ताफल सम उज्जल अक्षत, प्राशुक जल ले धोय बनाय, पुंज देत श्रीजिनवर आगे, अक्षय पद पा₹ भवि जाय॥ मेरु सुदर्शन. ॥४॥ॐ ह्रीं.॥अक्षतं॥ कमल केतुकी बेल चमेली, श्री गुलाब ले मंदिर आय। कामबाणके दूर करनको, श्रीजिन आगै देत चढ़ाय॥ मेरु सुदर्शन. // 5 // ॐ ह्रीं.॥पुष्पं // फेनी गोझा मोदक खाजे, ताजे तुरत सु लेहु बनाय। क्षुधा रोगके नाश करनको, श्री जिनवर पद पूजत जाय॥ मेरु सुदर्शन. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं // मणिमई दीप अमोलिक लेकर, जगमग जोत होत तिहवार। मोह तिमिर नाशनके कारण, श्रीजिन पूजत हरष अपार // मेरु सुदर्शन. // 7 // ॐ ह्रीं.॥दीपं // अगर कपूर सुगन्ध सु दशविध, खेवत श्री जिनमंदिर जाय, करम आठ बलवान महा ठग, तिनै जलावत मन हरषाय॥ मेरु सुदर्शन. // 8 // ॐ ह्रीं.॥धूपं // लोंग सुपारी श्रीफल भारी, पिस्ता दाख छुहारे लाय। धर सन्मुख जिन पूजन फलसो शिवफल पावत कर्मनशाय॥ मेरु सुदर्शन. ॥९॥ॐ ह्रीं.॥फलं॥ जल चंदन अक्षत प्रसून मिल, चरू वर दीप धूप फल सार। भविजन गाय बजाय हरष धर, श्रीजिनवर पद अरघ उतार॥ मेरु सुदर्शन. // ॐ ह्रीं.॥अर्घ / रा