________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [29 = = = = = = = = == = = = = = पाणी लौंग सुपारी लायची, ले पिस्ता दाख मिलाय। गणी श्री जिनवर चढाइये, शिव थान लहै सो जाय॥ प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 10 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ प्राणी जल फल अरघ बनायके,वसु द्रव्य मिलावो लाय। प्राणी श्री जिन सनमुख जायके,गावत जिन-गुन हरषाय॥ प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 11 // ॐ ह्री. ॥अर्घ॥ अथ प्रत्यकार्घ (मदअवलिप्तकपोल छन्द) मेरु सुदर्शन तनी दिशा अगनेय सुजानो। ता गजदन्त सुनाम जान सोमनस प्रमानो॥ ता पर जिनवर भवन महासुन्दर सुखकारी। सुरनर पूजत पाय लाल तिनपर बलिहारी॥१२॥ ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुकी अग्नि दिशा सोमनस नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिन-मंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ // मेरु सुदर्शन तनी दिशा नैऋत्य सु लीजे। विद्युतप्रभ गजदंत नाम ताको जानीजे॥ तापर जिनवरधाम लसै अद्भुत तुम जानो। सुरनर पूजत आय हरष उर अन्तर जानो॥१३॥ ॐ ह्रीं सुदर्शनमेरुकी नैऋत्य दिशा विद्युत्प्रभ नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिन-मंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ // मेरु सुदर्शन तनी दिशा वाइव तहां लहिये। मालवान गजदन्त नाम सुन्दर तहां कहिये॥