________________ 20 306] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ==== === = = = = == जै धनुष पांचसै उचित काय, पद्मासन छबि वरनी न जाय। जहां चतुर निकाय सुदेव आय,जिनचरन कमलपूजत बनाय॥ गुण गान करत अतिमुदित अंग, इन्द्रानी इन्द्र न. सुसंग। जै दुंदुभि बाजे बजत जोर, अनहद साढ़ेबारह किरोर॥ हम शक्तिहीन पहूँचो न जाय, निजधर पूजत जिनराज पाय। मनवचनकाय भुवि शीशलाय, भविलालसदा बलर सुजाय। घत्ता-दोहा निज गुणगूंथी माल यह, अक्षत पहुप विशाल। भविजन कण्ठ लगायकैं, सुरधर वांचै लाल॥३२॥ इति जयमाला। अथाशीर्वादः कुसुमलता छन्द मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढ़ें मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वरणन को कर सकै बनाय॥ ताके पुत्र पौत्र अरु सम्पति, बाढ़े अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस पर भव सुखदाई, सुरनर पद ले शिवपुर जाय। इति इत्याशीर्वादः। इति श्री नन्दीश्वर द्वीपके दक्षिण दिश त्रयोदश जिनमंदिर सिद्धकूट विराजमान तिनकी पूजन पाठ सम्पूर्णम्। अथ नन्दीश्वर द्वीपके पश्चिमदिश संबंधी त्रयोदश जिनमंदिर सिद्धकूट पूजा नं. 59 अथ स्थापना-कुसुमलता छन्द श्री नंदीश्वर द्वीप आठमो, ताकी उपमा कौन करै। पश्चिम दिशतेरह जिनमंदिर दर्शन देखत पाप हरै॥ अदिश त्रयोद सम्पूर्णम्। उनमंदिर