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________________ 302 ] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान == == == == == संवौषट् आननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापनं। अथाष्टकं सुन्दरी छन्द जल सु पावन प्रासुक लीजिये, धार जिनपद आगै दीजिये। दीप नंदीश्वर सुर जायकै, जजत जिन दक्षिणदिश आयकै॥ ___ॐ ह्रीं नन्दीश्वर द्वीपके दक्षिणदिश संबंधी अंजनगिर // 1 // अरजा वापी बीच दधिमुख गिर॥२॥ अरजा वापी मुख कोण प्रथम रतिकर गिर॥३॥ अरजा वापी मुख कोण द्वीतीय रतिकर गिर॥४॥ विरजा वापी बीच दधिमुख गिर॥५॥ विरजा वापी मुख कोण प्रथम रतिकर गिर // 6 // विरजावापी मुख कोण द्वीतीय रतिकर गिर // 7 // अशोक वापी बीच दधिमुख गिर॥८॥ अशोक वापी मुखकोण प्रथम रतिकर गिर // 9 // अशोक वापी मुखकोण द्वीतीय रतिकर गिर // 10 // बीच शोकावापी दधिमुख गिर॥११॥ बीच शोकावापी मुखकोण प्रथम रतिकर गिर॥१२॥ बीच शोकावापी मुखकोण द्वितीय रतिकर गिरपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१३॥ जलं॥ परम चंदन केसर गारकै, पूजिये जिनचरण निहारकै। दीप नंदीश्वर॥३॥ ॐ ह्रीं. // चंदनं / ले उजल अक्षत सोहनो, देत पुंज सु भविजन मोहनो। दीप नंदीश्वर॥४॥ ॐ ह्री. // अक्षतं॥ फूल सार सुगन्धित लावनो, जिन सु चरणन भेंट चढ़ावनो। दीप नंदीश्वर॥५॥ ॐ ह्रीं. // पुष्पं // परम मोदक बहु पकवान जू, पूजिये ले श्री भगवान जू। दीप नंदीश्वर // 6 // ॐ ह्री. // नैवेद्यं // दीप मणिमई करबीच धारता, करत भव्यसु जिनवर आरती। दीप नंदीश्वर // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ दाप
SR No.032847
Book TitleTerah Dwip Puja Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherDigambar Jain Pustakalay
Publication Year2000
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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