________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [293 SINESSONINriwarirarararNrNare अथ प्रत्येकार्य - दोहा मानुषोत्तर पूरव दिशा श्री जिनवरके धाम। सुर सुरपति पूजत सदा, हम पूजत यह ठाम॥११॥ ____ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतके पूरव दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ॥ मानुषोत्तर दक्षिण दिशा, श्री जिन मंदिर जान। अमर सचीपति नित ज जैं, हम पूजत धर ध्यान // 12 // ___ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतके दक्षिण दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ अर्घ॥ मानुषोत्तर पर जिनभवन, पश्चिम दिश सुखदाय। देव त्रिदश नितप्रति नमैं हम पूजत सुख पाय॥१३॥ ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतके पश्चिम दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो // 3 // अर्धं // मानुषोत्तर उत्तर दिशा श्री जिनभवन विशाल। पूजत शक्र सु जायके, अर्घ चढ़ावत लाल // 14 // ___ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतके उत्तर दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो // 4 // अर्थ // अथ जयमाला-दोहा मानुषोत्तर पर जिनभवन कहें जिनेश्वर देव। निश दिन शीश नवायकै, कीजै तिनकी सेव॥१५॥ चाल-छन्द जम्बूद्वीप सुहावनो जग सार हो, जोजन लाख रिशाल। ताके मध्य सु जानियो जग सार हो, मेरु सुदर्शन लाल॥