________________ 252] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ShareranaarakarararaKharararararar तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं। स्थापन। अथाष्टकं चाल-कार्तिकीकी प्रानी श्रीजिनवर पद पूजिये, प्रानी उज्जवल जल अति सीयरो। मानो मुक्ताफल उनहार, प्रानी श्रीसर्वज्ञ जिनेशके पद पूजत॥ पुन्य अपार, प्रानी श्री जिनवर पद पूजिये // 1 // प्रानी विद्युन्माली मेरु के पश्चिम दिश वसु वक्षार / प्रानी तहां जिनमंदिर सोहनो, भवि पूजत अष्ट प्रकार // ॐ ह्रीं विद्यन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी शब्दवान // 1 // विजयवान // 2 // आसीविष // 3 // सुखावह // 4 // चन्द्र // 5 // सूर्य // 6 // नाग॥७॥ देवनाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ जलं॥ प्रानी चंदन केशर गारकै पूजत पद श्री भगवान। प्रानीभव आताप निवारकै भवि पावत अविचल थान॥ प्रानी श्री. // प्रानी विद्युन्माली. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं // प्रानी अक्षत सरस सुहावने, ले उज्ज्वल वरन विशाल। प्रानी श्री जिन सन्मुख पुंज दे पावत अक्षय पद हाल॥ प्रानी श्री. // प्रानी वि. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ प्रानी परम सुगंधित फूल ले जिनमंदिर भीतर जाय। प्रानी मन वच काय लगायकै, जिनराज सु चरण चढ़ाय॥ ___प्रानी श्री. // प्रानी वि. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // प्रानी फेनी मोदक आद दे, बहु भांतनके पकवान। प्रानी कंचन थाल भरायके पूजत जिनचरण महान॥ प्रानी श्री. // प्रानी वि. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥